Pages

Tuesday, September 5, 2017

इंसेफ़ेलाइटिस से निपटने के लिए ज़रूरी हैं ये 6 उपाय

इंसेफ़ेलाइटिस से निपटने के लिए ज़रूरी हैं ये 6 उपाय

गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में महज़ दो दिनों में 42 बच्चों की मौत हो चुकी है.
यह वही मेडिकल कॉलेज है जो बीते कई वर्षों से जानलेवा दिमाग़ी बुख़ार यानी इंसेफ़ेलाइटिस के चलते हर साल औसतन 500 मौतों के लिए अख़बारों की सुर्खियों में आता रहा है.
इस साल भी अब तक इस मर्ज़ से यहां बड़ी संख्या में बच्चों की मौत हो चुकी हैं. अभी इसका तांडव ख़त्म होने में कम से कम 5 महीने बाकी हैं. तब तक न जाने यह आंकड़ा कितना ऊपर चला जाएगा.
नवजात शिशुओं की मृत्युदर में अचानक आए इस उछाल की वजहों और इसे रोकने के उपायों पर बीबीसी ने बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्राचार्य और बाल रोग विशेषज्ञ प्रोफ़ेसर केपी कुशवाहा से बात की.

1- साफ़-सफ़ाई पर जागरूकता बढ़ानी होगी

चाहे इंसेफ़ेलाइटिस हो या फिर नवजातों की मौत, सफ़ाई का अभाव इनके पीछे बड़ी वजह है.
ग्रामीण इलाकों में अभी भी 'सौर' (घर में नवजात और प्रसूता के लिए बनाया गया कमरा) में पर्याप्त साफ़-सफ़ाई नहीं होती जिससे नवजात को संक्रमण का ख़तरा कई गुना बढ़ जाता है.
2-निचले स्तर पर प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं की तैनाती हो
मेडिकल कॉलेज तक पहुंचने वाले 50 फ़ीसदी बच्चों में ब्रेन डैमेज की स्थिति आ चुकी होती है.
दिमाग में ऑक्सीजन की आपूर्ति रुकने लगती है, दिल और गुर्दे काम करना बंद करने लगते हैं.
ऐसा इस वजह से होता है क्योंकि बच्चे को इलाज मिलने में देर हो गई होती है.
ज़रूरत इस बात की है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से लेकर ऊपरी चिकित्सा केन्द्रों पर ऐसे मामलों की पहचान कर सकने के लिए शिक्षित-प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मी नियुक्त हों.
यदि हम पंचायत स्तर पर आशा कर्मियों की तरह ही ऐसे कार्यकर्ता तैनात कर सकें तो इंसेफ़ेलाइटिस से लड़ने में भी बड़ी मदद मिलेगी.
3-ब्रेस्ट फीडिंग काउंसलर लगाए जाएं
नवजात शिशुओं की बहुत सी समस्याएं केवल स्तनपान से भी ठीक हो सकती हैं, इसलिए निचले स्तर पर स्तनपान परामर्शक तैनात किए जाएं.
इससे मृत्युदर में बहुत कमी लाई जा सकती है.

4-भीड़ के अनुरूप संसाधन बढ़ाना ज़रूरी

पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार और नेपाल के गंभीर रोगियों के इलाज का भार वहन करने वाले इस मेडिकल कॉलेज में नियोनेटल आईसीयू में कुल 44 बेड हैं.
जबकि भर्ती बच्चों की संख्या अक्सर 100 के करीब होती है.
संक्रमण रोकने के लिए आदर्श स्थिति यह है कि एक से दूसरे बेड के बीच 3 फ़ीट का फ़ासला रहे मगर यहां एक-एक बेड पर 3-3 बच्चे हैं.
इससे संक्रमण का ख़तरा बढ़ जाता है. ऐसे में क्षमता बढ़ाना ज़रूरी है.

5-संसाधन और तकनीक पर ज़ोर

संसाधनों के मामले में हमें अपनी स्थिति और सोच दोनों को बदलना होगा.
हम साल भर में ऐसे आईसीयू को एक-दो बार संक्रमण मुक्त करके स्थितियों में सुधार नहीं ला सकते. ऐसा प्रतिदिन दो बार करना होगा.
नवजात बच्चों को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए स्पेशल ट्रांसपोर्टेशन और स्पेशल वॉर्मर इस्तेमाल करने होंगे.
इसी तरह नवजात बच्चों के लिए इंट्राकैथ इस्तेमाल करने के बजाय आईवी फ्लूइड लाइन जैसे उपाय अपनाने चाहिए.

6-भ्रष्टाचार रोकिए

इन सारे उपायों के लिए ज़रूरी है कि अस्पतालों या मेडिकल कॉलेजों को अपने नियमित बजट रिलीज़ कराने के लिए लखनऊ के चक्कर न काटने पड़ें.
यह भ्रष्टाचार को जन्म देता है. सरकार को इस पर निगरानी रखनी होगी वरना बच्चों की मौत के मामले इसी तरह सामने आते रहेंगे.

0 comments:

Post a Comment

मोटापा कम करने का ये तरीका हो सकता है ख़तरनाक

मोटापा कम करने का ये तरीका हो सकता है ख़तरनाक मोटापा कम करने या दूसरे शब्दों में कहें तो शरीर से चर्बी घटाने के लिए की जाने वाली सर...