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Tuesday, October 17, 2017

मोटापा कम करने का ये तरीका हो सकता है ख़तरनाक

मोटापा कम करने का ये तरीका हो सकता है ख़तरनाक


मोटापा कम करने या दूसरे शब्दों में कहें तो शरीर से चर्बी घटाने के लिए की जाने वाली सर्जरी को लिपोसक्शन कहा जाता है.
डॉक्टरों ने लिपोसक्शन को लेकर कुछ गंभीर चिंताएं ज़ाहिर की हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि लिपोसक्शन की वजह से मोटापे वाले ग्लोब्यूल्स फेफड़ों में दाखिल हो सकते हैं.
डॉक्टरों ने ये दावा 45 साल की एक महिला के केस के हवाले से किया है. घुटने और टांगों से मोटापा कम करने के बाद इस महिला को सांस लेने में दिक्कत होने लगी थी.
ब्रितानी शहर बर्मिंघम के डॉक्टरों ने बताया कि महिला की हालत इतनी नाज़ुक थी कि वो मौत के मुंह से लौटी हैं.

जानलेवा भी हो सकता है लिपोसक्शन

बीएमजे की रिपोर्ट के मुताबिक, लिपोसेक्शन ब्रिटेन में तेजी से फैल रही बीमारी है जो मरीज़ों की ज़िंदगी के लिए काफ़ी ख़तरनाक है.
सैंडवेल और वेस्ट बर्मिंघम अस्पताल की आईसीयू यूनिट के डॉक्टर अदम अली ने कहा, "इससे पहले ब्रिटेन में फ़ैट इंबोलिज़्म सिंड्रोम (एफ़ईएस) का कोई मामला देखने को नहीं मिला था, लेकिन इसके होने की संभावनाओं पर ध्यान देने की ज़रूरत है."
जिस मरीज़ के हवाले से ये बात हो रही है, वो बेहद मोटी थीं और लिपोसक्शन से पहले ग्रैस्ट्रिक ऑपरेशन से गुज़री थीं.
लेकिन ऑपरेशन के 36 घंटे के बाद उनकी हालत बेहद नाज़ुक हो गई और उन्हें सांस लेने में दिक्कत होने लगी, जिसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया.

लिपोसक्शन है क्या?

डॉक्टरों के तुरंत इलाज के चलते महिला की जान बचा ली गई और तीन हफ्ते के बाद उन्हें अस्पताल से छुट्टी मिल गई.
रिपोर्ट का कहना है कि एफ़ईएस को पहचानना और इलाज करना डॉक्टरों के लिए एक चुनौती की तरह है क्योंकि इसके लक्षण बहुत ही सामान्य और कम हैं.
दरअसल लिपोसक्शन एक ऐसा मेडिकल तरीका है जिसके ज़रिए डॉक्टर शरीर के उन हिस्सों से मोटापा कम कर देते हैं, जहां इन्हें शिफ्ट नहीं किया जा सकता.
जैसे जांघ, हिप्स और पेट. ये तरीका उन लोगों के लिए सबसे बेहतर है जिनकी त्वचा बहुत टाइट और वज़न सामान्य होता है.
इसके नतीजे काफ़ी वक्त तक रहते हैं. लेकिन अब इसके साइड इफ़ेक्ट्स को देखते हुए ये कहा जा रहा है कि लिपोसक्शन के कई बार ग़लत परिणाम भी होते हैं.

बाज़ार में उतरे शाओमी के दो ऑक्टाकोर फ़ोन

बाज़ार में उतरे शाओमी के दो ऑक्टाकोर फ़ोन

मोबाइल फ़ोन कंपनी शाओमी ने भारत में अपना एक नया फ़ोन लॉन्च किया है एमआई ए1. साथ ही बुधवार से कंपनी का नया फ़ोन एमआई मैक्स2 बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएगा.

मंगलवार को भारत में लॉन्च किया गया एमआई ए1 14,999 रुपये का फ़ोन है और ये कंपनी का पहला फ़ोन है जो ड्यूअल कैमरे के साथ बाज़ार में उतारा गया है, यानी फ़ोन में पीछे की तरफ दो कैमरे हैं बारह मेगापिक्सल के.
कैमरे की बात करें तो फ़ोन का कैमरा स्लोमोशन वीडियो बनाने में सक्षम है और साथ ही 4के में भी शूटिंग कर सकता है. कैमरे में 2एक्स ऑप्टिकल ज़ूम है जो इसे एप्पल आईफ़ोन 7 प्लस के साथ तुलना करने लायक बनाता है.

एमआई ए1 की ख़ास बातें

ये कंपनी का पहला फ़ोन है जिसके लिए कंपनी ने गूगल से एंड्रायड वन के तहत साझेदारी की. इस पार्टनरशिप के तहत फ़ोन बनाने वाली कंपनी एंड्रॉएड ऑपरेटिंग सिस्टम को अपने फ़ोन में बिना अतिरिक्त फीचर्स के इस्तेमाल करती है. एमआई ए1 में एंड्रायड नोगट 7.1.2 ऑपरेटिंग सिस्टम है.
जानकारों के अनुसार गूगल ऑपरेटिंग सिस्टम को शुद्ध रूप में इस्तेमाल करने वाले इसे पसंद करते हैं. हालांकि ये भारत में लांच होने वाला ये पहला ऐसा फ़ोन नहीं हैं. इससे पहले एचटीसी, माइक्रोमैक्स, कार्बन और स्पाइस एंड्राएड वन के साथ अपने फ़ोन लांच कर चुके हैं.
5.5 इंच का ये फ़ोन फुल एचडी डिस्प्ले के साथ है और कोर्निंग गोरिल्ला ग्लास की सुरक्षा के साथ आता है. फ़ोन में पीछे की तरफ फिंगरप्रिंट स्कैनर है. कंपनी अपने नोट सिरीज़ के फ़ोन में पहले भी फिंगरप्रिंट स्कैनर देती आई है और इसके फ़ोन इस्तेमाल करने वालों को अब तक इस फीचर की आदत पड़ गई है और उनके लिए ये फायदेमंद फीचर है.
ये फ़ोन ऑक्टाकोर स्नैपड्रैगन 625 प्रोसेसर पर आधारित है जो एड्रेनो 506 ग्राफिक्स प्रोसेसर के साथ है. ये दोनों मिल कर इसे एक फास्ट डिवाइस बनाते हैं, कंपनी के अनुसार इस फ़ोन में ऊपर और नीचे दोनों तरफ माइक्रोफ़ोन हैं जो नॉयस रिडक्शन फीचर्स के साथ हैं.
एक फास्ट प्रोसेसर को उचित मदद देने के लिए कंपनी ने इसमें 4एमबी रैम के इस्तेमाल किया है और साथ ही इसमें 64जीबी का स्टोरेज भी दिया है. मेमरी कम पड़ जाए तो कभी भी इसे 128जीबी तक बढ़ाया जा सकता है.
आजकल बाज़ार में आने वाले अधिकतर फ्लैगशिप फ़ोन फुल मेटल बॉडी के साथ होते हैं, इसे ध्यान में रखते हुए इस फ़ोन में भी पूरे मेटल बॉडी का इस्तेमाल हुआ है.
फ़ोन की सबसे बढ़िया बात है इसमें इस्तेमाल होने वाला टाइप सी यूएसबी कनेक्टर जो फास्ट चांर्जिंग के लिए जाना जाता है. साल 2015 में इस चार्जिंग पिन को पहली बार इंन्टरनेशल कन्ज़यूमर इलेक्ट्रोनिक शो सीईएस में प्रदर्शित किया गया था.

एमआई मैक्स2 के फीचर्स
6.44 इंच के डिस्प्ले के साथ लांच किया गया ये फ़ोन बुधवार से भारत में बिक्री के लिए उपलब्ध हो रहा है.
फ़ोन ऑक्टाकोर स्नैपड्रेगन 625 प्रोसेसर के साथ है और इसमें स्टीरियो इफेक्ट के लिए दो स्पीकर इस्तेमाल किए गए हैं.
फुल मेटल बॉडी के साथ आने वाले ये फ़ोन 4जीबी रैम के साथ है और दो मेमरी ऑप्शन्स में उपलब्ध होगा- 32जीबी और 64जीबी. ज़रूरत पड़ने पर इसकी मेमरी को 128जीबी तक बढ़ाया जा सकता है.
कंपनी का दावा है कि फ़ोन का 5300एमएएच की बैटरी 18 घंटों तक वीडियो चलाने में सक्षम है और इस पर एक बार चार्ज करने पर आप10 दिन तक ऑडियो सुन सकते हैं.
फ़ोन के अन्य फीचर्स है सोनी के सेंसर वाला 12 मेगापिक्सल का रीयर कैमरा, फिंगरप्रिंट सेंसर और फास्ट चार्जिंग के लिए टाइप सी यूएसबी कनेक्टर.

ब्लूटूथ ऑन रखा तो हो सकता है अटैक!

ब्लूटूथ ऑन रखा तो हो सकता है अटैक!

मोबाइल फोन का ब्लूटूथ ऑन रखना ख़तरनाक साबित हो सकता है. सिक्योरिटी कंपनी अर्मिस के शोधकर्ताओं के समूह ने बीते मंगलवार को एक ऐसे मैलवेयर का पता लगाया है जो ब्लूटूथ से जुड़े डिवाइस पर हमला कर सकता है.


यह स्मार्टफोन ही नहीं, बल्कि स्मार्ट टीवी, टैबलेट, लैपटॉप, लाउडस्पीकर और कारों पर भी हमला कर सकता है.
दुनिया में कुल मिलाकर 5.3 अरब डिवाइस हैं जो ब्लूटूथ का इस्तेमाल करते हैं.
इस मैलवेयर का नाम ब्लूबॉर्न है. इसके जरिए हैकर उन डिवाइस को अपने नियंत्रण में ले सकता है जिनका ब्लूटूथ ऑन होगा. इसके जरिए आपके मोबाइल का डाटा आसानी से चोरी किया जा सकता है.
अर्मिस का कहना है, "हमलोगों को लगता है कि ब्लूटूथ डिवाइस से जुड़े कई और ऐसे मैलवेयर हो सकते हैं, जिनकी पहचान की जानी बाकी है."

बगिंग

इसके मैलवेयर के हमले काफी गंभीर हो सकते हैं. ये बग ब्लूटूथ का फायदा उठाकर हमला करता है. ब्लूबॉर्न इसी श्रेणी में आता है.
इसके ज़रिए हमलावर आपके डिवाइस में वायरस भेज कर आपका डेटा चुरा सकते है.
ब्लूबॉर्न को यूजर की सहमति की जरूरत नहीं होती है और वो किसी लिंक पर क्लिक करने को भी नहीं कहता. सिर्फ दस सेकंड में वो किसी एक्टिव ब्लूटूथ डिवाइस को नियंत्रित कर सकता है.
आर्मिस ने एक ऐसा एप्लीकेशन बनाया है जो यह पता लगा सकता है कि आपका डिवाइस सुरक्षित है या नहीं. इस एप्लीकेशन का नाम है 'ब्लूबॉर्न वलनरब्लिटी स्कैनर'. ये ऐप गूगल के ऑनलाइन स्टोर पर उपलब्ध है.

ब्लूजैकिंग

दूसरा खतरा है ब्लूजैकिंग. यह ब्लूटूथ से जुड़े कई डिवाइस को एक साथ स्पैम भेज सकता है.
यह वीकार्ड (पर्सनल इलेक्ट्रॉनिक कार्ड) के जरिए मैसेज भेजता है, जो एक नोट या फिर कॉनटैक्ट नंबर के रूप में होता है. आम तौर पर यह ब्लूटूथ डिवाइस के नाम से स्पैम भेजता है.

ब्लूस्नार्फिंग

यह ब्लूजैकिंग से ज्यादा खत़रनाक है. इसके जरिए सूचनाओं की चोरी होती है. इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से फोनबुक और डाटा चुराने के लिए किया जाता है.
इसके जरिए निजी मैसेज और तस्वीर भी चुराए जा सकते हैं. लेकिन इसके लिए हैकर को यूजर से 10 मीटर के दायरे में होना ज़रूरी होता है.

कैसे सुरक्षित रहें

  • माइक्रोसॉफ्ट, गूगल और लिनक्स ने ब्लूबॉर्न से यूजर को बचाने के लिए पैच रिलीज की है, जिसे इंस्टॉल कर लें.
  • आधुनिक उपकरणों में ब्लूटूथ कनेक्टिविटी के लिए कंफर्मेशन कोड ज़रूरी होता है, इसका इस्तेमाल करें.
  • मोड 2 ब्लूटूथ का इस्तेमाल करें, यह ज्यादा सुरक्षित होता है.
  • अपने डिवाइस ब्लूटूथ नाम को हिडेन मोड में ही रखें.
  • इस्तेमाल नहीं किए जाने पर ब्लूटूथ को ऑफ रखें.

मोटापा कम करने का ये तरीका हो सकता है ख़तरनाक

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