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Thursday, July 27, 2017

'नीतीश कुमार यू-टर्न की राजनीति के मास्टर हैं'

'नीतीश कुमार यू-टर्न की राजनीति के मास्टर हैं'

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अगर यही सब कुछ होना था तो आखिर क्यों चार अहम साल (16 जुलाई, 2013 से 26 जुलाई, 2017) बर्बाद किए गए? बिहार के हर हलके में आज ये सवाल छाया हुआ है. और आज जिनकी साख पर बट्टा लगने में जरा भी वक्त नहीं लगा, वो शख्स कोई और नहीं बल्कि छवि गढ़ने की राजनीति के माहिर खिलाड़ी नीतीश कुमार हैं.
गुरुवार को नीतीश कुमार ने महागठबंधन का दामन छोड़ छठी बार बिहार के मुख्यमंत्री के पद की शपथ ली. इस बार नीतीश ने अपनी कैबिनेट में पुराने दोस्त सुशील कुमार मोदी को तेजस्वी यादव वाली जगह दी है.
चाहे नीतीश को पसंद करने वाले लोग हों या फिर उनकी मुखालफत करने वाले, हर कोई आज ये पूछ रहा है कि इन चार सालों में जो चार सरकारें आईं और गईं और उनकी वजह से जो राजनीतिक अस्थिरता और प्रशासनिक अनिश्चितता का माहौल रहा, उसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाना चाहिए.

समता पार्टी का गठन

अगर वे इसकी जिम्मेदारी बड़े भाई लालू यादव पर थोपना चाहते हैं कि उनके मामले में गलती हो गई तो हर किसी को ये मालूम है कि आरजेडी के मुखिया एक दोषी करार दिए गए राजनेता हैं और अन्य नेताओं की तरह वंशवाद की राजनीति उनकी भी कमजोरी है.
साल 1994 में जब नीतीश कुमार ने समता पार्टी बनाने के लिए लालू यादव का साथ छोड़ा था तो अच्छी-खासी संख्या में जनता दल समर्थक पार्टी छोड़ कर उनके साथ हो लिए थे. 1995 के विधानसभा चुनावों में नीतीश ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के साथ गठबंधन कर पहली बार अलग चुनाव लड़ा था तो कहीं कोई खुसफुसाहट तक नहीं हुई.

बीजेपी की डिनर पार्टी

साल भर बाद ही नीतीश ने यू-टर्न लिया और भारतीय जनता पार्टी के खेमे में शरीक हो गए तो कहीं-कहीं विरोध के सुर सुनाई दिए. कुछ नेताओं ने समता पार्टी छोड़ दी जिसमें सैयद शहाबुद्दीन जैसे नाम थे लेकिन तब कई लोगों ने ये दलील दी कि बीजेपी को गले लगाना नीतीश की सियासी मजबूरी थी, नहीं तो उनका वजूद ही मिट जाता.
मंडल के बाद की राजनीति में बीजेपी को एक पिछड़ी जाति का नेता मिल गया था. नीतीश जिस काबिल थे, उन्हें उससे ज्यादा अहमियत मिली. वक्त गुजरता और बदलता रहा.

गुजरात सरकार को चेक वापसी

12 जून, 2010 को नीतीश कुमार ने पटना में भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के लिए रात्रिभोज का कार्यक्रम रद्द कर दिया. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व पार्टी कार्यकारिणी की बैठक के सिलसिले में इकट्ठा हुआ था.
इसके कुछ हफ्ते बाद नीतीश कुमार गुजरात सरकार को दान में मिले पांच करोड़ रुपये की रकम वापस कर देते हैं. गुजरात सरकार ने ये पैसा 2008 के कोसी बाढ़ पीड़ितों के लिए सहायता राशि के तौर पर दी थी. भगवा खेमे में इस बात को लेकर गहरी निराशा थी.
चार महीने बाद बिहार विधानसभा के चुनाव थे और इसे देखते हुए पार्टी अपमान का घूंट पीकर रह गई. लेकिन इस घटना के साढ़े तीन साल बाद जब नीतीश कुमार ने अचानक सभी मंत्रियों को बिना कोई कारण बताए मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया तो उनके शुभचिंतक भी उनसे नफरत करने लगे.

मोदी की हुंकार रैली

तब बीजेपी के किसी भी मंत्री के खिलाफ न तो भ्रष्टाचार का कोई आरोप था और न ही सरकार का कामकाज ठीक से न करने का, लेकिन इसके बावजूद उन्हें चलता कर दिया गया. बदले में भाजपा नेताओं की तरफ से उन्हें पसंदीदा गालियां दी गईं, ऐसे शब्दों के इस्तेमाल किए गए जो कभी लालू प्रसाद यादव तक के ख़िलाफ़ नहीं किए गए थे.
मीडिया में नीतीश कुमार को अवसरवादी और गद्दार तक करार दिया गया. बोध गया में जब बम धमाके हुए और 27 अक्टूबर, 2013 को पटना में नरेंद्र मोदी की हुंकार रैली के दौरान गांधी मैदान में बम फट गया तो उनके पुराने दोस्तों ने उन पर चरमपंथियों के प्रति नरम रवैया रखने का आरोप तक लगाया.

2014 के चुनाव

तब नीतीश के लिए इस स्थिति का सामना करने में मुश्किल आ गई. मई, 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के ठीक एक दिन बाद नीतीश कुमार ने नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा दे दिया. तब नीतीश ने मुख्यमंत्री पद के लिए जीतनराम मांझी को चुना. और फिर शुरू हुआ बिहार में नौ महीने की अराजकता का दौर.
नीतीश पर्दे के पीछे रहकर सरकार चलाना चाहते थे और जीतनराम मांझी को ये पसंद नहीं था. इसके बाद नीतीश कुमार और जीतनराम मांझी के समर्थकों के बीच सार्वजनिक तौर पर तू-तू-मैं-मैं का दौर शुरू हुआ. और आखिरकार जीतनराम मांझी को भी सत्ता से बाहर का दरवाजा दिखा दिया गया.

जीतनराम मांझी प्रकरण

फरवरी, 2015 के आखिरी हफ्ते में नीतीश कुमार एक बार फिर से बिहार के मुख्यमंत्री बने. इस नौ महीने में जीतनराम मांझी ने खुलकर नीतीश कुमार पर भ्रष्ट ठेकेदारों को संरक्षण देने का आरोप लगाया. मांझी के मुताबिक ये ठेकेदार बिहार को लूट रहे थे. उन्होंने बिहार सरकार में चल रहे कई गंभीर घोटालों की तरफ लोगों का ध्यान दिलाया.
नीतीश ने जब देखा कि उनकी छवि पर गहरे दाग रहे हैं तो उन्होंने लालू प्रसाद यादव के साथ हाथ मिला लिया. वे जानते थे कि लालू यादव के पास वोट बैंक है, लेकिन अदालत से दोषी करार दिए जाने के बाद वे मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं.

महागठबंधन की जीत

आरजेडी सुप्रीमो राजनीतिक तौर पर फिर से प्रासंगिक होने के लिए बेकरार थे और लालू यादव को एक बार फिर से इसका मौका मिल गया. इसके बाद आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस के बीच महागठबंधन हुआ और बिहार की 243 में से 178 सीटें इनकी झोली में आ गिरी. अगर तीनों पार्टियां अलग होकर लड़ी होतीं तो 78 सीटें तक इनके लिए जीतना मुश्किल था.
इसलिए एक तरीके से कहा जाए तो लालू यादव ने नीतीश को हारने से बचाया और नीतीश ने लालू यादव को राजनीति की मुख्यधारा में फिर से लाने में मदद की. इसलिए आज जो कुछ हो रहा है, उसके लिए नीतीश किसी को दोष नहीं दे सकते. महागठबंधन के बारे में वो जो कुछ कहना चाहते हैं, कहने के लिए आजाद हैं.

जेडीयू-आरजेडी का विलय प्रस्ताव

लेकिन हकीकत तो ये है कि ये 20 महीने उन 29 महीनों (16 जून, 2013 से 20 नवंबर, 2015) से कही बेहतर हैं जब नीतीश कुमार सभी तरह के राजनीतिक प्रयोगों में मशरूफ थे. जब आरजेडी, जेडीयू और कांग्रेस में गठबंधन हुआ था तो कई लोगों ने कहा था, 'गुड़ खाते हैं, गुल-गुले से परहेज करते हैं.'
जेडीयू-आरजेडी के विलय प्रस्ताव पर भी नीतीश कुमार को कोई हिचक नहीं थी और 28 मार्च, 2015 को तिहाड़ जेल में बंद ओम प्रकाश चौटाला से मिलने में भी उन्होंने कोई गुरेज नहीं किया लेकिन अपने डिप्टी मुख्यमंत्री से उन्हें महज एक एफआईआर होने पर दिक्कत हो गई.
एनडीए में नीतीश की घरवापसी को जितनी तेजी से अंजाम दिया गया उससे लोगों का ये ख्याल अब जोर पकड़ रहा है कि नीतीश ने मनमाने किस्म की राजनीति शुरू कर दी है.

Monday, July 24, 2017

कुत्ते क्यों होते हैं इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त?

कुत्ते क्यों होते हैं इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त?

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कुत्ते भरोसेमंद होते हैं, ये तो हम आप जानते ही हैं. लेकिन नए अध्ययन के मुताबिक वे हमारे सबसे अच्छे दोस्त भी होते हैं.
अमरीकी वैज्ञानिकों ने पता लगाया है कि कुत्तों में दोस्ती करने का विशेष अनुवांशिक गुण मौजूद होता है.
कुत्तों का विकास भेड़ियों से ही हुआ है. रिसर्च में पाया गया कि हजारों साल की विकास प्रक्रिया के बाद कुत्ते झुंड में रहने लगे. इसी वजह से वे इंसानों के भी ज़्यादा क़रीब आने लगे.
शोधकर्ताओं ने पालतों कुत्तों और भेड़ियों के अलग-अलग व्यवहार का परीक्षण किया, जिसमें उनकी समस्या हल करने की क्षमता और लोगों के साथ घुलने-मिलने वाले व्यवहार को जांचा गया.
शोधकर्ताओं ने पाया कि किसी समस्या को हल करने के मामले में भेड़िए और कुत्ते एक समान क्षमता रखते हैं लेकिन किसी के साथ दोस्ती करने के मामले में कुत्ते ज़्यादा तेज़ साबित हुए.

हज़ारों साल पुराना साथ

कुत्ते आसानी से किसी अपरिचित के पास चले जाते हैं जबकि भेड़िए इस मामले में अलग ही रहते हैं.
इस शोध की सह-शोधकर्ता और नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ की डॉ. इलेन ओसट्रेंडर ने कहा कि इस शोध के जरिए इंसान के व्यवहार में आने वाली समस्याओं को समझने में भी मदद मिल सकेगी.
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20,000 से 40,000 साल पहले भेड़ियों को कुत्तों के रूप में पालने की प्रक्रिया शुरू हुई थी. यह रिसर्च ये भी बताती है कि किस तरह वक़्त के साथ भेड़ियों के अंदर दोस्ती के गुण पैदा होते गए और आज वे कुत्तों के रूप में इंसानों के सबसे अच्छे दोस्त बन गए हैं. यह अध्ययन मूल रूप में साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित हुआ है.

Thursday, July 20, 2017

कॉफी पीने से लंबी हो सकती है आयु!

कॉफी पीने से लंबी हो सकती है आयु!

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एक शोध से पता चला है कि दिन भर में तीन बार कॉफी पीने से आपकी आयु लंबी हो सकती है.
यह शोध यूरोप के दस देशों के करीब पांच लाख लोगों पर किया गया. यह शोध 35 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों पर किया गया.
एनाल्स ऑफ़ इंटरनल मेडिसिन नाम के जर्नल में छपे शोध में कहा गया है कि एक कप अतिरिक्त कॉफी पीने से किसी इंसान की आयु लंबी हो सकती है. भले ही यह कॉफी डिकैफ़िनेटेड (कैफ़िन निकाला गया) ही क्यों ना हो.
लेकिन कुछ विशेषज्ञों ने शोध के नतीजों पर शंका जाहिर की है. इन विशेषज्ञों का कहना है कि यह दावे के साथ नहीं कहा जा सकता है कि कॉफी की ही वजह से ही ऐसा हुआ है या फिर कॉफी पीने वाले लोगों के स्वस्थ जीवनशैली के कारण.
इंटरनेशनल एजेंसी फॉर रिसर्च ऑन कैंसर एंड इम्पेरियल कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं का कहना है कि अधिक कॉफी पीने का ताल्लुक दिल और आंत की बीमारी से मरने का जोख़िम कम होने से है.
यूनिवर्सिटी ऑफ़ कैम्ब्रिज के प्रोफेसर सर डेविड स्पीगलहालटर का कहना है कि अगर कॉफी की वजह से मृत्यु की दर में कमी का आकलन किया जाए तो एक अतिरिक्त कप कॉफी हर दिन पीने से मर्दों की उम्र तीन महीने ज़्यादा हो सकती है, जबकि औरतों की आयु औसतन एक महीने बढ़ जाती है.
हालांकि यह शोध बहुत बिलकुल सही तरीके से किया गया है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि इसमें कोई चूक ना हुई हो. यह शोध ये भी नहीं बता सकता कि कॉफी के अंदर ऐसा क्या जादुई तत्व है, जिससे आयु बढ़ सकती है.

क्या है बच्चों में भी दांत पीसने की आदत : जानिये

 क्या है बच्चों में भी दांत पीसने की आदत : जानिये
अगर आपके बच्चों में भी दांत पीसने की आदत है तो बहुत संभव है कि स्कूल में उन पर धौंस (बुलिंग) जमाया जा रहा हो. यह बात एक नए शोध में सामने आई है.
मुंह के स्वास्थ्य से संबंधित एक चैरिटी ने कहा है कि माता-पिता और स्कूल को इस समस्या के बारे में पता होना चाहिए. यह तनाव और चिंता से गुजर रहें वयस्कों को भी प्रभावित कर सकता है.
दांत पीसने से सिर दर्द, दांत ख़राब होने और आधी-अधूरी नींद की समस्या भी हो सकती है.
विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे मामलों में इजाफा भी देखा गया है.
यह शोध जर्नल ऑफ़ ओरल रिहैबिलिटेशन में प्रकाशित हुआ है. यह शोध ब्राज़ील में तीन सौ से अधिक किशोरों पर किया गया है.

नुकसान

इस शोध के नतीजों के मुताबिक़ स्कूल में बुलिंग के शिकार 13 से 15 साल के बच्चों में दांत पीसने की आदत चार गुना अधिक पाई गई है.
इनमें सोने के दौरान भी दांत पीसने की आदत देखी गई है. बुलिंग के शिकार 65 फ़ीसदी बच्चों में यह आदत देखी गई है जबकि जो बच्चे बुलिंग के शिकार नहीं थे उनमें सिर्फ़ 17 फ़ीसदी में यह आदत देखी गई.
ओरल हेल्थ फाउंडेशन के डॉक्टर नीगेल कार्टर ने कहा, "इस मामले में दांत पीसने से अधिक यह महत्व की बात है कि यह बच्चे की मानसिक स्थिति को दिखाता है और शुरुआती दौर में ही बुलिंग को पकड़ने में हमारी मदद करता है."
उन्होंने बताया कि सोने के दौरान दांत पीसना नुकसानदायक हो सकता है लेकिन अक्सर लोग इस बात को लेकर अनजान रहते हैं कि वो ऐसा कर रहे थे.
दांत पीसने से दांत की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. इससे दांतों में झनझनाहट, दांतों का घीसना, दांत टूटना और चेहरे और जबड़ों में दर्द जैसी शिकायत हो सकती है.
डॉक्टर नीगेल कार्टर बताते हैं कि दांत पीसना चबाने से 40 गुना अधिक ताकत वाली प्रक्रिया होती है.

Thursday, July 13, 2017

DRDA Administration Scheme – Release of 1st instalment. of Year 2017-18



1ST  INSTALMENT

No. R -17014/1/2017-18-DRDA(Sl.No.10)
        Government of India
Ministry of Rural Development
(Department of Rural Development)
DRDA Admn. Section

       New Delhi  
Dated:   10th  July ,2017
To
          The Pay & Accounts Officer,
          Government of India,
          Ministry of Rural Development,
          Krishi Bhawan , New Delhi.

Subject –      Central Assistance to District Rural Development Agencies in the State of  Jharkhand for the year 2017-18 under DRDA Administration Scheme – Release of  1st    instalment.
Sir,          
               I am directed to convey the sanction of the President to the payment of Grants-in-aid amounting to Rs.5,34,70000 /- (Rupees Five Crore Thirty Four Lakh Seventy Thousand   Only) to the State Government of  Jharkhand towards 1st instalment  of Central share for implementation of the DRDA Administration Scheme for the financial year 2017-18, to the DRDAs as per Annexure attached.

2.   The release is subject to the following conditions:-

a)      A separate Bank Account in a nationalized Bank shall be maintained under DRDA.
b)      State Government should transfer these funds to the bank accounts of concerned DRDA(s) within 10 days of their receipt from the Central Government and in the event of failure on this account, the State will be liable to pay the interest @ 12% per annum for the period of delay.
c)      The quantum of release is subject to actual requirement within the overall ceiling. Any expenditure over and above the ceiling shall be met by the State Government.
d)     The funds would not be diverted to any purpose other than meeting the  expenditure on salary and    contingency as per the Guidelines of the Scheme.
e)      The State Government should also release its contribution towards the overall cost of DRDA Administration within 15 days.  In case of shortfall in State Share, corresponding amount of Central share will be deducted from the 2nd instalment of next financial year.
f)       The State Government is also requested to invariably endorse/send  copy(-ies) of the release orders within 3 days to the Central Government addressed as under:-

The Dy. Secretary (DRDA),
Ministry of Rural Development,
Room No. 18,Core 5B, 2nd Floor
India Habitat Centre
Lodhi road, New Delhi- 110003



                                                                                                                                                   …2




-          2    -


3.  The funding pattern under the scheme will be 60:40 between Centre and the State. However there is no bar on releasing more funds by the State than its due share to meet the genuine requirement of a DRDA. The Utilization of funds should be in accordance with the DRDA Administration guidelines. Release of 2nd  Instalment during 2017-18 shall be subject to utilization of 60% of available funds and upon submission of UC and Audit Report of the previous year.

4.   Institutions or Organisations receiving Grants should, irrespective of the amount involved, be required to maintain subsidiary accounts of the Government grant and furnish to the Accounts Officer/department a set of audited statement of accounts. These audited statements of accounts should be required to be furnished after utilization of the Grants-in-aid or whenever called for.


5.    The accounts of the grantee institutions/DRDAs shall be open to inspection by the sanctioning authority and Audit both by the Comptroller and Auditor General of  India  Internal Audit by of the Principal Accounts Office of the Ministry or Department functioning under Chief Controller of Accounts, in terms of Rule 236 of General Financial Rules, 2017.

6.   The Utilization Certificate should be submitted within 12(twelve) months of the closure of the financial year which shall includes interest accrued.  Interest accrued should be computed based on the details of ledger accounts for the purpose.

7.         No Utilization Certificate is pending against the concerned District Rural Development Agency.

8.   The expenditure is debitable to the following Head of Accounts under Demand No. 82 Department of Rural Development (2017-18).
3601- Grants-in-Aid to State Govts. (Major Head)
06   - Centrally Sponsored Schemes
101  - Central Assistance/Share
27- National Rural Livelihood Mission
27.04    - DRDA Administration
27.04.31- Grants- in –Aid General

9.   The Pay & Accounts Officer, M/O Rural Development will be the Drawing &   Disbursing Officer for the purpose. The amount mentioned in Para –1 above has to be transferred to State Government.

10.     This issues under the powers delegated to this Ministry and in consultation with the Integrated Finance Division vide their U.O. No.306 /Finance/2017-18 dated 05.07.2017

11. Sanction Order made has been entered in Expenditure Control Register at Sl. No.10  Page  No.01.
                                                       
 Yours faithfully,


(C.S. Mishra)
                                                     Dy. Secretary to the Govt. of  India

   Copy to:
   1.   The Principal Secretary, Finance Department, Govt. of Jharkhand, Ranchi - 834004
   2.   The Principal Secretary, Rural Development, Govt. of Jharkhand, Ranchi - 834004.
3.   The Accountant General, Govt. of Jharkhand, Ranchi - 834002
4    The Director, Rural Development, Govt. of Jharkhand, Ranchi - 834004
5.   The Director of Audit, E&S Ministries, IP Estate, AGCR Building, New Delhi.
6.  The Resident Commissioner, Government of Jharkhand, New Delhi for taking necessary   action under intimation to this Ministry.
7.   NRLM Section/ Section Officer (Fin.-II)/B & A Section.
   8.   Sr. Technical Director NIC Section for uploading on website of MoRD.



ANNEXURE

Annexure to sanction order No. R-17014/1/2017-18/DRDA (Sl.No.10) dated  10th July,2017 in r/o the State Government of  JHARKHAND under DRDA Administration Scheme.

(Rs. in Lakhs)

Sl.
No.
District
Org.
Code
INSTALMENT NO.
AMOUNT
1
BOKARO
JH001
1ST INSTALLMENT.
20.90
2
CHATRA
JH002
1ST INSTALLMENT.
23.84
3
DEOGHAR
JH003
1ST INSTALLMENT.
20.90
4
DHANBAD
JH004
1ST INSTALLMENT.
23.84
5
DUMKA
JH005
1ST INSTALLMENT.
20.90
6
EAST SINGHBHUM
JH006
1ST INSTALLMENT.
23.84
7
GARHWA
JH007
1ST INSTALLMENT.
24.58
8
GIRIDIH
JH008
1ST INSTALLMENT.
23.84
9
GODDA
JH009
1ST INSTALLMENT.
20.90
10
GUMLA
JH010
1ST INSTALLMENT.
23.84
11
JAMTARA
JH019
1ST INSTALLMENT.
20.90
12
HAZARIBAGH
JH011
1ST INSTALLMENT.
24.58
13
KODERMA
JH012
1ST INSTALLMENT.
20.90
14
LATHEHAR
JH020
1ST INSTALLMENT.
20.90
15
LOHARDAGGA
JH013
1ST INSTALLMENT.
20.90
16
PAKUR
JH014
1ST INSTALLMENT.
20.90
17
PALAMAU
JH015
1ST INSTALLMENT.
24.58
18
RANCHI
JH016
1ST INSTALLMENT.
24.58
19
SAHEBGANJ
JH017
1ST INSTALLMENT.
20.90
20
SARAIKELLA
JH021
1ST INSTALLMENT.
20.90
21
SIMDEGA
JH022
1ST INSTALLMENT.
20.90
22
WEST SINGHBHUM
JH018
1ST INSTALLMENT.
24.58
23
KHUNTI
JH023
1ST INSTALLMENT.
20.90
24
RAMGARH
JH024
1ST INSTALLMENT.
20.90
TOTAL
534.70



(C.S. Mishra)
                                                     Dy. Secretary to the Govt. of  India



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