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Wednesday, June 21, 2017

लापरवाह बैंक कर्मी सुधर जाएँ : डीडीसी जामताड़ा

लापरवाह बैंक कर्मी सुधर जाएँ : डीडीसी  जामताड़ा
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एक जुलाई से होगी बिजली महंगी

 एक जुलाई से होगी बिजली महंगी



Tuesday, June 20, 2017

अब पेशाब से रिचार्ज हो सकेगा आपका स्मार्टफोन!

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एक बार सुनकर शायद आपको यकीन ना हो लेकिन अब पेशाब से स्मार्टफोन रिचार्ज करना भी संभव हो सकता है.
एक अजीबोगरीब प्रयास के तहत पेशाब को बिजली के करंट में तब्दील करने में ब्रिटेन के वैज्ञानिक जुटे हुए हैं.
ब्रिटेन के ब्रिस्टल रोबोटिक्स लैब के वैज्ञानिक इस प्रोजेक्ट पर काम कर रहे हैं.
इस प्रयोग के तहत पहले वैज्ञानिकों ने इलेक्ट्रो-एक्टिव सूक्ष्मजीवों से कई सिलिंडरों को भरा. ये ऐसे सूक्ष्मजीव थे जो खराब या गंदे पानी और पेशाब में पनपते हैं. .

इसके बाद इन सूक्ष्मजीवों से इलेक्ट्रॉन का निर्माण होता है जिसका बिजली उत्पादन में इस्तेमाल किया जा सकता है.
दो लीटर पेशाब से 30-40 मिलीवाट बिजली का उत्पादन हो सकता है.
और इस बिजली का इस्तेमाल फिर फोन को रिचार्ज करने या रौशनी पैदा करने के लिए किया जा सकता है.

Friday, June 16, 2017

घर में अगरबत्ती जलाने वाले सावधान : हो सकती है कैंसर जैसी बीमारियाँ


गले का कैंसर हो सकता है ....
अगरबत्ती का घर में लगातार प्रयोग से गले का कैंसर हो सकता है अगरबत्ती के धुंवे से ऊपरी श्वास नलिका में कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है 

दिल की बीमारियाँ।.....

अगरबत्ती का घर में लगातार प्रयोग से अगरबत्ती से निकलने वाली धुआं साँसों के साथ दिल में पहुँचकर दिल को नुकसान पहुंचाता है. ;लम्बे समय तक अगरबत्ती का घर में उपयोग करने से हृदय से होने वाली रोगों की सख्या बढ़ जाती है।

Thursday, June 15, 2017

पीठ में है तकलीफ़ तो ये नुस्ख़े आज़माएं

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पीठ की तकलीफ़ की समस्या को दूर करने के लिए कुछ उपाय निम्नलिखित हैं-
1.अगर आप कामकाजी हैं तो डेस्क से नियमित समय अंतराल पर उठते रहें. हो सके तो इसके लिए अलार्म लगा लें. स्टैंडिंग डेस्क पर काम करें. अलग-अलग तरह की कुर्सियों का इस्तेमाल करें.
2.योग और मेडिटेशन करें, ये संभव नहीं हो तो वॉक ही किया करें.
3.अगर आप किसी एक्टिविटी को पसंद करते हैं तो उसे लंबे समय तक करें.
4.कोशिश करें कि एक्टिव रहें और इसके लिए नियमित तौर पर वॉक करें.

रोज़ाना ऐस्प्रिन लेने वाले

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हर्ट अटैक और स्ट्रोक के बाद रोज़ाना ऐस्प्रिन लेने वाले 75 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों के लिए ये बहुत ख़तरनाक हो सकता है.
लैंसेट में प्रकाशित शोध के मुताबिक इससे पेट में काफ़ी रक्तस्राव हो सकता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक रक्तस्राव से बचाव के लिए बुज़ुर्गों को पेट की सुरक्षा करने वाले पीपीआई पिल्स लेने चाहिए.
इन वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐस्प्रिन लेने से हर्ट अटैक की आशंका कम होती है, ऐसे में ऐस्प्रिन का सेवन अचानक से बंद किया जाना भी ख़तरनाक हो सकता है.
वैज्ञानिकों के मुताबिक ऐस्प्रिन सेवन करने वाले लोगों को दवा में किसी बदलाव से पहले चिकित्सकों से सलाह लेनी चाहिए. आम तौर पर डॉक्टर किसी भी शख़्स को हर्ट अटैक आने के बाद उन्हें लाइफ़ टाइम रोज़ाना ऐस्प्रिन लेने की सलाह देते हैं.
लेकिन शोधकर्ताओं के मुताबिक ऐस्प्रिन से पेट में रक्तस्राव होने की आशंका बढ़ती है. हालांकि 75 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में अब तक के दूसरे शोधों के मुताबिक रक्तस्राव होने का ख़तरा कम होने का दावा किया जाता रहा है.
ये शोध ब्रिटेन के ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी का है. इस शोध अध्ययन में 3,166 मरीजों को शामिल किया गया. ये वो लोग हैं जिन्हें हर्ट अटैक आ चुका था और डॉक्टरों ने इन्हें ऐस्प्रिन लेने या रक्त को पतला करने वाले दूसरी दवाइयां लेने को कहा हुआ था.
इस शोध में देखा गया कि 65 साल से कम उम्र के प्रति 200 लोगों में एक आदमी के पेट में रक्तस्राव की आशंका थी, वहीं 75 से 84 साल के लोगों के लिए प्रति 200 लोगों में तीन आदमी में रक्तस्राव की आशंका देखी गई.
अध्ययन के मुख्य शोधकर्ता प्रोफ़ेसर पीटर रॉचवेल कहते हैं, "हमारे नए अध्ययन के मुताबिक 75 साल से ज़्यादा उम्र के लोगों में ऐस्प्रिन सेवन से ख़तरा ज़्यादा होता है."
हीं शेफ़ील्ड यूनिवर्सिटी के हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. टिम चिको बताते हैं कि ये महत्वपूर्ण अध्ययन है. हालांकि टिम के मुताबिक ऐस्प्रिन कईयों के लिए ख़तरनाक नहीं भी होता है.
ब्रिटेन में मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक ज़्यादा ख़तरे की चपेट में आने वाले लोगों को ऐस्प्रिन के साथ साथ पीपीआई पिल्स दिया जा रहा है.

कलाम के सम्मान में नासा ने बैक्टीरिया का नाम रखा 'कलामी'

लॉस एंजेलिस 
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भारत के लिए एक अच्छी खबर है। नासा के वैज्ञानिकों ने उनके द्वारा खोजे गए एक नए जीव को भारत के पूर्व राष्ट्रपति और अंतरिक्ष वैज्ञानिक एपीजे अब्दुल कलाम का नाम दिया है। अभी तक यह नया जीव (जीवाणु की एक किस्म) सिर्फ अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) में ही मिलता था। यह पृथ्वी पर नहीं पाया जाता था। 

नासा की प्रयोगशाला ने अंतरग्रही यात्रा पर काम करते हुए अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के फिल्टरों में इस नए जीवाणु को खोजा और भारत के पूर्व राष्ट्रपति कलाम के सम्मान में इसे सोलीबैकिलस कलामी नाम दिया। 1963 में कलाम ने शुरुआती ट्रेनिंग नासा में ली थी। इसके बाद उन्होंने केरल के थुंबा में मछुआरों के गांव में भारत का पहला रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र स्थापित किया था।

मुंह को काटे बिना रोबोट की सहायता से ट्यूमर निकालना मुमकिन

मुंह को काटे बिना रोबोट की सहायता से ट्यूमर निकालना मुमकिन
मुंह को काटे बिना रोबोट की सहायता से ट्यूमर निकालना मुमकिन (प्रतीकात्मक फोटो)
नयी दिल्ली: अगर कोई व्यक्ति मुंह, गले या गर्दन के कैंसर से जूझ रहा है और कीमोथेरेपी और रेडिएशन से उपचार कराना नहीं चाहता तो उनके लिए भारत में भी रोबोटिक सर्जरी की सहायता से ट्यूमर निकालने की नई तकनीक मौजूद है और डॉक्टरों के मुताबिक यह अपेक्षाकृत कम दर्द वाली है.
इस तकनीक से मुंह गले या गर्दन के कैंसर से पीड़ित किसी व्यक्ति के मुंह को काटा नहीं जाता बल्कि रोबोट की सहायता से ट्यूमर को निकाला जाता है.
दरअसल, इस तकनीक में एक रोबोट और उसकी कई बाहें होती है जिसमें से एक पर कैमरा लगा होता है. इसके जरिए मुंह, गले और गर्दन के उस हिस्से तक पहुंचा जा सकता है जहां ट्यूमर है और वहां तक डॉक्टर के हाथ नहीं पहुंच पाते. रोबोट की सहायता से ट्यूमर को काटकर निकाल लिया जाता है तथा मरीज के मुंह एवं गर्दन में चीरा नहीं लगाया जाता है.
इस तकनीक के माध्यम से फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट में 500 ऑपरेशन किए गए हैं और अस्पताल ने 57 लोगों पर एक अध्ययन भी किया है जो ढाई साल की अवधि में किया गया है. डॉक्टर का कहना है कि 57 में से 43 मरीज कैंसर से मुक्त हो गए.
अस्पताल में ‘नेक एंड थ्रॉक्स सर्जिकल ऑन्कोलॉजी’के निदेशक डॉ सुरेंद्र डबास ने कहा कि यह तकनीक अपेक्षाकृत आसान है. जहां कीमोथेरेपी और रेडिएशन में सात हफ्ते का वक्त लगता है वहीं इसमें रोगी को ठीक होने में सात दिन लगते हैं.
उन्होंने कहा, ‘इसमें रोबोट की बाहों के माध्यम से मुंह के अंदर उन हिस्सों में पहुंचा जाता है जहां डॉक्टर के हाथ नहीं पहुंच पाते. इसकी एक बाह में कैमरा लगा होता है और डॉक्टर उसमें देखकर थ्री डी के माध्यम से रोबोट की सहायता से ट्यूमर को काटकर निकाल देता है.’उन्होंने कहा कि इस तकनीक से ऑपरेशन करने में 20 मिनट का वक्त लगता है.
डॉ डबास ने कहा कि इसमें रोगी को चार-पांच दिन में अस्पताल से छुट्टी मिल जाती है. इसमें कम दर्द होता है. कम खून बहता है. संक्रमण का भी खतरा कम होता है और रोगी जल्दी अपनी सामान्य गतिविधियां शुरू कर सकता है. उन्होंने कहा कि इस तकनीक के माध्यम से पीड़ित की आवाज भी बेहतर रहती है और खाने में भी उसे तकलीफ नहीं होती.
उन्होंने कहा कि इस अध्ययन में शुरूआती कैंसर से पीड़ित 57 मरीजों को शामिल किया गया है जिनका मार्च 2013 से अक्तूबर 2015 के बीच मुंह, गले और गर्दन में से ट्यूमर निकाला गया था. इसमें से 43 फीसदी मरीज रोगमुक्त हो गए.
उन्होंने कहा कि अगर कैंसर को वापस आना होता है तो वो दो साल में आ जाता है लेकिन उनका अध्ययन ढाई साल का है उन्होंने कहा कि 57 मरीजों में 48 पुरूष थे और नौ महिलाएं थीं. उनकी औसत आयु 59.4 वर्ष थी.

भारतीय ने खोजा खारे पानी को पीने योग्य बनाने का तरीका

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सैन फ्रांसिस्को। अमेरिका में भारतीय मूल के छात्र ने खारे पानी को पीने योग्य जल में तब्दील  करने का एक सस्ता और आसान तरीका खोज निकाला है। इस छात्र के शोध ने कई बड़ी  तकनीकी कंपनियों और विश्वविद्यालयों का ध्यान अपनी तरफ खींचा है।  

कारम्चेडू ने कहा कि प्रत्येक 8 में से 1 व्यक्ति के पास पीने के लिए स्वच्छ जल की व्यवस्था  नहीं है। यह एक ऐसी चीज है जिसमें जल्द सुधार की जरूरत है। उन्होंने इस समस्या का  समाधान करने का मन बना लिया है। उच्च बहुलक के साथ खारे पानी पर प्रयोग करके इस  किशोर ने समुद्री जल से नमक हटाकर पीने योग्य जल तैयार करने का सस्ता तरीका खोज  निकाला है। 

ऐसी 'मशीन' जो सूंघकर बता देती है बीमारी का पता

कैलिफोर्निया। पुराने जमाने में नाड़ी शास्त्र के ज्ञाता आदमी की नब्ज पकड़कर यह पता लगा लेते थे कि व्यक्ति किस बीमारी से पीडि़त है, लेकिन वैज्ञानिक अब ऐसी मशीन बनाने का प्रयास कर रहे हैं जो कि बीमार को सूंघकर  ही बता देगी कि उसके कौन सा रोग है। विदित हो कि जल्द ही ऐसी मशीन का निर्माण होने वाला है। इस मशीन के आविष्कार में जुटे वैज्ञानिकों का कहना है कि यह मशीन आसानी से सांस, ब्लड और यूरीन जनित रोगों को पहचान  लेगी।   

हम सभी की एक अद्वितीय गंध होती है जो हजारों कार्बनिक यौगिकों से मिलकर बनती है। इस महक से हमारी उम्र, जैनेटिक, लाइफस्टाइल, होमटाउन और यहां तक कि हमारे मेटाबॉलिक प्रोसेस के बारे में भी पता चलता है। विदित हो कि प्राचीन यूनानी और चीनी चिकित्सक रोग को पहचानने के लिए मरीज की गंध का इस्तेमाल किया करते थे। 

अब इसी पुरानी तकनीक को इस्तेमाल करते हुए वैज्ञानिक फिर से प्रयोग में लाने तैयारी में हैं। इस तकनीकी के तहत त्वचा और सांस की गंध से बीमारी का पता लगाया जा सकेगा। उदाहरण के तौर पर वैज्ञानिकों का कहना है कि मधुमेह रोगियों की सांस सड़े हुए सेब जैसी आती है। टाइफाइड रोगियों की त्वचा बेकिंग ब्रैड जैसी गंध देती हैं।  

वैसे तो हर डॉक्टर भी कुछ बीमारियों को किसी हद तक सूंघ सकता है, लेकिन यह इस पर निर्भर करता है कि उसकी नाक कितनी संवेदनशील है और वह सूंघ कर बीमारियां पहचानने का कितना अनुभवी है। इस वजह से खोजकर्ता कम एक ऐसे सेंसर पर काम कर रहे हैं जो रोग को पहचान ले। 

Wednesday, June 14, 2017

अगर हैं शादीशुदा तो दिल देता रहेगा साथ

शादी आपकी सेहत के लिए अच्छी होती है. शोधकर्ताओं का कहना है कि अगर आपको हाई कॉलेस्ट्रॉल जैसे कारणों से दिल का दौरा पड़ने के ख़तरे हैं तो शादी की वजह से आपके जीवित रहने की संभावना बढ़ जाती है.
ब्रिटेन में क़रीब दस लाख वयस्कों पर किए गए एक शोध के आधार पर शोधकर्ताओं ने एक कॉन्फ्रेंस में बताया कि एक प्यार करने वाला पार्टनर आपको अपनी देखभाल बेहतर तरीके से करने को प्रेरित कर सकता है.
शोध में शामिल सभी लोगों को हाई ब्लड प्रेशर, कॉलेस्ट्रॉल या डायबिटीज़ की समस्या थी. लेकिन उनमें सिंगल लोगों के मुकाबले शादीशुदा लोगों का स्वास्थ्य बेहतर था.

अच्छी है शादी

शोध करनेवाले एस्टन मेडिकल स्कूल के डॉक्टर पॉल कार्टर और उनके सहकर्मियों ने बताया है कि शादी से दिल का दौरा पड़ने पर जान बचने की उम्मीद बढ़ जाती है.
ब्रिटिश कार्डियोवैस्क्यूलर सोसायटी के इस हालिया शोध में इसकी वजह भी बताई गई है.
शोधकर्ताओं का अनुमान है कि दिल की बीमारी के लिए ज़िम्मेदार हाई कॉलेट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर जैसे जोख़िम की स्थिति में अगर मरीज़ शादीशुदा है तो उसका रिस्क कम हो जाता है

अध्ययन में दिल की बीमारी से मौत के साथ-साथ हर तरह की बीमारी से होनेवाली मृत्यु को शामिल किया गया था.
शोध के नतीजों में बताया गया है कि हाई कॉलेट्रॉल वाले 50, 60 और 70 की उम्र की महिलाओं और पुरुषों में शादीशुदा लोगों के बचने की संभावना 16 फ़ीसदी तक ज़्यादा होती है.
ऐसी ही हालत मधुमेह और उच्च रक्तचाप के मरीज़ों के मामले में भी पाया गया है.
हालांकि सेक्सुअली एक्टिव, एक-दूसरे से अलग रह रहे पति-पत्नी, तलाकशुदा लोगों के मामले में ये तस्वीर उतनी साफ़ नहीं है.
इसके अलावा शोधकर्ताओं ने इस बात की भी जांच नहीं की है कि शादीशुदा लोग वाक़ई खुशहाल हैं या नहीं.
उनका कहना है कि सिर्फ़ शादीशुदा होने की बजाए आपकी ज़िंदगी में किसी ख़ास शख़्स की मौजूदगी से भी फ़र्क पड़ता है.
शोध करनेवाले डॉक्टर कार्टन कहते हैं,"हमें दिल की बीमारी के कारणों पर थोड़ा और अध्ययन करना होगा. लेकिन शोध में ये बात सामने आई है कि शादीशुदा ज़िंदगी न केवल दिल की बीमारी की हालत में बल्कि जिन लोगों में इसके जोख़िम ज़्यादा हैं उनमें भी मददगार साबित होती है. लेकिन हम ये नहीं कह रहे कि हर इंसान को शादी कर ही लेनी चाहिए. हमें शादी के सकारात्मक प्रभाव को समझने की ज़रूरत है."

महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा नींद लेना चाहिएः रिसर्च

महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा नींद लेना चाहिए, ऐसा एक शोध में दावा किया गया है। इस शोध में कहा गया है कि महिलाओं का दिमाग पुरुषों से ज्यादा जटिल होता है इसलिए उन्हें पुरुषों से ज्यादा नींद की जरूरत होती है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के अनुसार, शोध कर रहे वैज्ञानिकों ने पाया है महिलाओं को पुरुषों की तुलना में करीब 20 मिनट ज्यादा नींद की जरूरत होती है।

शोधकर्ताओं ने इसके पीछे तर्क दिया है कि दिन में महिलाओं का दिमाग पुरुषों के दिमाग की तुलना में ज्यादा कसरत करता है। यह शोध मध्यम उम्र के 210 पुरुषों और महिलाओं पर किया गया है।

बालासन योग (Balasana Yoga)

बालासन योग की विधि (Steps of Balasana Yoga)

  1. सबसे पहले अपने पैरों को पीछे की और कर के मोड़ लें जैसे चित्र में किया गया है और अपने दोनों हांथों को अपने जांघों में रख कर सीधे बैठें।
  2. उसके बाद धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए अपने छाती को घुटनों से जोड़ें।
  3. उसके बाद अपने हांथों को आगे की तरफ सीधे भी आप रख सकते हैं और पीछे भी रख सकते हैं।
  4. उसके बाद ध्यान से धीरे-धीरे साँस लें और और उस मुद्रा में 2-3 मिनट तक रुकें।
  5. इस योग को 5-10 बार दोहोराये।
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बालासन योग के फायदे (Benefits of Balasana Yoga)

  1. मानसिक चिंतन दूर होता है।
  2. कमर का दर्द दूर होता है।

बद्ध कोणासन योग (Baddhakonasana Yoga)

बद्ध कोणासन योग की विधि (Steps of Baddhakonasana Yoga)

  1. सबसे पहले नीचे जमीं पर एक दरी बिछाएं और सीधे बैठ जाएँ।
  2. उसके बाद अपने दोनों पैरों के नीचे हिस्से हो सामने पास ला कर जोड़ें।
  3. उसके बाद दोनों पैरों के जुड़े हुए स्थान के नीचे पकड़ने की कोशिश करें जैसे चित्र में है।
  4. उसके बाद अपने पैरों को तितली की पंख के तरह हिलाएं।
  5. आप तेज़ी से भी इस आसन को कर सकते हैं।
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बद्ध कोणासन योग के फायदे (Benefits of Baddhakonasana Yoga)

  1. पेट के अंगों को तंदरुस्त रखता है।
  2. साथ ही किडनी को भी स्वस्थ रखता है।

भुजंगासन योग (Bhujangasana Yoga)

भुजंगासन योग की विधि (Steps of Bhujangasana Yoga)

  1. सबसे पहले पेट नीचे की तरफ कर के लेट जाएँ।
  2. उसके बाद एक लम्बी साँस के साथ अपने शरीर के उपरी भाग को जैसे सर, गर्दन, कन्धों और छाती को ऊपर की तरफ ले जाएँ जैसे चित्र में दिया गया है।
  3. इस मुद्रा में 20-30 सेकंड तक रुकें।
  4. उसके बाद दोबारा 4-5 बार इस आसन को दोहोराएँ।
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भुजंगासन योग के फायदे (Benefits of Bhujangasana Yoga)

  1. पेट में एसिडिटी और गैस की प्रॉब्लम दूर करता है।
  2. मोटापा कम होता है।
  3. रक्त परिसंचरण सही तरीके से होता है।
  4. अपच और कब्ज की शिकायत दूर करता है।


अर्धमत्स्येन्द्रासन योग (Ardha Matsyendrasana Yoga)

अर्धमत्स्येन्द्रासन योग की विधि (Steps of Ardha Matsyendrasana Yoga)


  1. सबसे पहले नीचे सीधे बैठ जाएँ।
  2. उसके बाद अपने बाएँ पैर को मोड़ें और अपने पीछे दाएं तरफ को छूने की कोशिश करें। समझने के लिए फोटो को देखें।
  3. उसके बाद अपने दाएँ पैर को अपने बाएँ पैर के अगले तरफ ले जाकर रखें। दायाँ पैर अगली तरफ जमीन को छूना चाहिए।
  4. उसके बाद अपने शरीर को पैर मोडे हुए तरफ के विपरीत दिशा में तानें या खींचे और अगली तरफ पैर को पीछे से छूने की कोशिश करें।
  5. इस मुद्रा में 20-30 सेकंड के लिए रुकें। उसके बाद अगली दिशा में भी इस योगासन को दोहराएँ।
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अर्धमत्स्येन्द्रासन योग के फायदे / लाभ (Benefits of Ardha Matsyendrasana Yoga)


  1. मांशपेशियों को अच्छा खिचाव मिलता है।
  2. रीड की हड्डी में मजबूती आती है।
  3. रक्त परिसंचरण सही तरीके से होता है।
  4. कब्ज़ और अपचन से शरीर को बचाता है।

त्रिकोणासन योग (Trikonasana Yoga)

त्रिकोणासन योग की विधि (Steps of Trikonasana Yoga)

  1. सबसे पहले सीधे खड़े हों और अपने दोनों पैरों के बिच थोडा गैप रखें।
  2. उसके बाद अपने दाएँ पैर को 90 डिग्री में मोड़ें।
  3. उसके बाद थोडा सा शरीर को भी दाएँ तरफ झुकाते हुए अपने दाएँ हाँथ से अपने दाएँ पैर के उँगलियों को छुएं और बाएं हांथ को ऊपर की और सिधाई में रखें जैसा फोटो में दिया गया है।
  4. इस मुद्रा में 1-2 मिनट तक रुकें।
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त्रिकोणासन योग के फायदे (Benefits of Trikonasana Yoga)

  1. पुरे शरीर को अच्छा खिचाव मिलता है।
  2. रक्त परिसंचरण / सर्कुलेशन में सुधार होता है।
  3. गुर्दा / किडनी स्वस्थ रहता है।

सेतुबंधासन योग (Setubandhasana Yoga)

सेतुबंधासन योग की विधि (Steps of Setubandhasana Yoga)

  1. इस योग मुद्रा में आपको अपने शरीर को एक पुल के जैसे बनाना पड़ता है।
  2. सबसे पहले जमीन पर सीधे लेट जाएँ और अपने बाहं को दोनों तरफ रखें।
  3. जिस प्रकार चित्र में दिया गया है देखकर अपने शरीर के नीचले हिस्से को उठायें।
  4. उस मुद्रा में एक लम्बी सी साँस लें और लगभग 25-30 सेकंड तक रुकें।
  5. उसके बाद धीरे-धीरे अपने शरीर को नीचे ला कर प्रथम मुद्रा पर लायें।
  6. इस योगासन को 4-5 बार दोहराएँ।
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सेतुबंधासन योग के फायदे (Benefits of Setubandhasana Yoga)

  1. छाती को मजबूती देता है।
  2. साथ ही पीछे और रीड की हड्डी भी तंदरुस्त होता है।
  3. मन की चिंता दूर होती है।

वृक्षासन योग (Vrikasana Yoga)

वृक्षासन योग की विधि (Steps of Vrikasana Yoga)

  1. सबसे पहले अपने दोनों हांथों को बगल में रख कर सीधे खड़े हों।
  2. उसके बाद ध्यान से अपने दाएने पैर को अपने बाएँ पैर के जांघ पर रखकर सीधे खड़े रहें। समझने के लिए फोटो को देखें।
  3. उसके बाद धीरे-धीरे डॉन हांथों को जोड़ कर ऊपर की ओर ले जाएँ और प्रार्थना मुद्रा धारण करें।
  4. कम से कम 30-45 सेकंड तक इस मुद्रा में बैलेंस करने की कोशिश करें।
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वृक्षासन योग के फायदे (Benefits of Vrikasana Yoga)

  1. संतुलन में सुधार आना।
  2. जांघों, पैर और रीड की हड्डी को मजबूत बनाने के लिए।

वीरभद्रासन योग (Virabhadrasana Yoga)

वीरभद्रासन योग की विधि (Steps of Virabhadrasana Yoga)

  1. सबसे पहले सीधे खड़े हों।
  2. दोनों पैरों के बिच 3-4 फीट की दूरी रखें।
  3. लम्बी साँस लें और दोनों हांथों को जमीन के समान्तर में ऊपर उठायें और अपने सर को दाएँ तरफ मोड़ें।
  4. उसके बाद साँस छोड़ते हुए अपने दाएँ पैर को 90 डिग्री में मोड़ें और हल्का सा दाएँ तरफ मोड़ें।
  5. पैर को मोड़ने के तरीके को समझने के लिए फोटो को देखें।
  6. उसके बाद इस पोजीशन में कुछ समय के लिए रुकें।
  7. ऐसे 5-6 बार करें।
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वीरभद्रासन योग की फायदे (Benefits of Virabhadrasana Yoga)

  1. इस योग मुद्रा से पैरों और भुजाओं को शक्ति मिलती है।
  2. नीचले भाग के शरीर को भी स्वस्थ रखता है।

शवासन योग (Shavasana Yoga)

शवासन योग की विधि (Steps of Shavasana Yoga)

  1. यह बहुत ही आसान योग मुद्रा है परन्तु इससे शरीर को बहुत महत्वपूर्ण लाभ होते हैं।
  2. सबसे पहले एक समतल जगह पर एक दरी बीचा लें।
  3. उसके बाद ऊपर की और मुहँ करके लेट जाएँ।
  4. अपने दोनों पैरों को एक दूरे से अलग रखें।
  5. उसके बाद कुछ मिनटों के लिए धीरे-धीरे साँस लें और छोड़ें।
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शवासन योग के फायदे (Benefits of Shavasana Yoga)

  1. इससे शरीर को आराम मिलता है।
  2. ध्यान / एकाग्रता में सुधार लता है।

सुखासन योग (Sukhasana Yoga)

सुखासन योग की विधि  (Steps of Sukhasana Yoga)

  1. सबसे पहले फर्श पर एक दरी बिछाएं और दोनों पैरों को मोड़ कर बैठ जाएँ।
  2. पैर कुछ इस तरीके से मोड़ कर बैठे कि एक पैर का नीचला हिस्सा बाहर की और दिखे और दूसरा अगले पैर के जांघों के नीचे।
  3. उसके बाद सीधे बैठें और अपने रीड की हड्डी को सीधा रखें।
  4. अपने दोनों हांथों के हथेलियों को ऊपर करके अपने घुटनों पर रखें और ज्ञान मुद्रा धारण करें।
  5. धीरे-धीरे लम्बी साँस लें और धीरे-धीरे फिर साँस छोड़ें।
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सुखासन योग के फायदे (Benefits of Sukhasana Yoga)

  1. रीड की हड्डी में खिचाव होता है जो रीड की हड्डी को लम्बा होने में मदद करता है।
  2. छाती का चौड़ाई बढ़ता है।
  3. मन को शांति मिलती है।
  4. चिंता, तनाव और मानसिक थकान से जुड़े रोग दूर होता हैं।

ताड़ासन योग Tadasana Yoga

ताड़ासन योग की विधि (Steps of Tadasana Yoga)

  1. सबसे पहले अपने पैरों के मदद से सीधे खड़े हों।
  2. अपने दोनों पैरों के बीच थोडा सा जगह बनायें।
  3. उसके बाद एक लम्बी साँस के साथ अपने पैरों की उँगलियों की मदद से शरीर को थोडा ऊपर उठायें और अपने दोनों हांथों को धीरे-धीरे उपर उठायें। उसके बाद अपने एक हाँथ की उँगलियों से दूसरी हाँथ के उँगलियों को जोड़ें।
  4. कम से कम 15-30 सेकंड इस मुद्रा में रहें और अपने शरीर को ऊपर की और खींचें।
  5. उसके बाद धीरे-धीरे अपने हांथों को सामान्य स्तिथि में ले आयें।
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ताड़ासन योग  के फायदे (Benefits of Tadasana Yoga)

  1. यह आसन उन लोगों के ज्यादा फायदेमंद साबित होता है जो अपना लम्बाई बढ़ाना चाहते हैं।
  2. मुद्रा में सुधार होता है।
  3. रीढ़ की समस्याओं से दूर रखता है।

अधोमुखश्वानासन योग (Adho Mukha Svanasana Yoga)

अधोमुखश्वानासन योगा  की विधि (Steps of Adho Mukha Svanasana Yoga)

  • सबसे पहले सीधे खड़े हों और दोनों पैरों के बिच छोड़ा दूरी रखें।
  • उसके बाद धीरे से नीचे की ओर मुड़ें जिससे की V जैसे Shape बनेगा।
  • जैसे की ऊपर दिए हुए फोटो में आप देख रहे हैं दोनों हाथों और पैरों के बीच में थोडा सा दूसरी बनायें।
  • साँस लेते समय अपने पैरों की उँगलियों की मदद से अपने कमर को पीछे की ओर खींचें। अपने पैरों और हांथों को ना मोड़ें।
  • ऐसा करने से आपके शरीर के पीछे, हांथों और पैरों को अच्छा खिंचाव मिलेगे।
  • एक लम्बी से साँस लें और कुछ देरी के लिए इस योग पोज़ में रुकें
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अधोमुखश्वानासन योगा के फायदे (Benefits of Adho Mukha Svanasana Yoga)

  • मांसपेशियों में मजबूती आती है।
  • साइनस की समस्या दूर होती है।
  • शरीर को अच्छा खिचाव मिलता है।
  • रक्त परिसंचरण में सुधार आता है।

मोटापा कम करने का ये तरीका हो सकता है ख़तरनाक

मोटापा कम करने का ये तरीका हो सकता है ख़तरनाक मोटापा कम करने या दूसरे शब्दों में कहें तो शरीर से चर्बी घटाने के लिए की जाने वाली सर...